गमक की परिभाषा एवं इसके प्रकार [2024]

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नमस्कार मित्रों, इस post के द्वारा आप यह जान पायेंगे गमक की परिभाषा एवं इसके प्रकार, लक्षण। जोकि संगीत संबंधी परीक्षाओं जैसे यूजीसी नेट ( संगीत ), MPTET वर्ग 2 वर्ग 3, CTET Music, KVS Music, JNV Music, UPTET इत्यादि की दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। आइये जानते है गमक किसे कहते है? और इसके कितने प्रकार है?

गमक की परिभाषा एवं इसके प्रकार

गमक का अर्थ; गमक शब्द संस्कृत भाषा की ‘गम्’ धातु से बना है जिसका अर्थ होता है ‘चलना या जाना’। जब स्वरों को गंभीरता पूर्वक गाया जाता है तो उसे गमक कहा जाता है। संगीत रत्नाकर में, शारंग देव जी ने गमक को परिभाषित करते हुए लिखा है – “स्वरों का ऐसा कंपन जो सुनने वाले के चित्त को सुखदायी हो, उसे ‘गमक‘ कहते है।”

वर्तमान समय में गमक का प्रयोग प्राचीन तरीके से नहीं होता, किंतु किसी न किसी रूप में गमकों का प्रयोग हमारे वाद्य यंत्रों और गायकों द्वारा होता अवश्य है। आज के समय में संगीतज्ञ संगीत को थोड़ा अलग तरह से परिभाषित करते हुए यह मानते हैं कि – “जब हृदय लार जोर लगाकर गम्भीरतापूर्वक कुछ कंपन के साथ स्वरों का प्रयोग किया जाता है, उसे गमक कहते हैं।”

गमक का प्रयोग ज्यादातर ध्रुपद गायकों द्वारा किया जाता है, किन्तु कुछ ख्याल ख्याल भी है जो अपने गायन में गमक का प्रयोग करते दिखलाई पड़ते हैं। गमक का उपयोग ध्रुपद गायक नोम-तोम आलाप के आख़री भाग जिसको ध्रुपद गायन की भाषा में झाला या द्रुतलय आलाप कहते हैं उसमें किया जाता है, इसके अलावा बंदिश की उपज में भी गमक का प्रयोग दिखाई देता है।

गमक के प्रकार

गमक की परिभाषा एवं उसके प्रकार

शारंग देव के अनुसार गमक के प्रकार

शारंग देव नें संगीत रत्नाकर ग्रंथ में गमक के 15 प्रकार बतलायें हैं, इसे पंचदश गमक नाम से भी जाना जाता है जोकि निम्नानुसार है :-

  1. तिरप – इस गमक को 1/8 मात्रा काल में गाया जाता है, आजकल इसे हिलोल्ल नाम से जाना जाता है।
  2. स्फुरित – इस गमक को 1/6 मात्रा काल में गाया जाता है, इस गिटकरी कहते है।
  3. कंपित – इसे 1/4 मात्रा में गाया जाता है, इसको खटका भी कहते हैं।
  4. लीन – इसे 1/2 मात्राओं में गाया जाता है।
  5. आंदोलित – 1 मात्रा में गायी जानें वाली गमक।
  6. वलित – वक्रत्व के साथ गमक गाना, इसे वली/ वलित गमक माना जाता है।
  7. त्रिभिन्न – तीन स्वर स्थानों को जल्दी से छूकर किसी एक स्थान पर पहुँचा जाए।
  8. कुरुल – इसे घसीट भी कहते हैं।
  9. आहत – गमक करते समय आगे के स्वरों पर आघात करके लौटना।
  10. उल्लासित – एक स्वर के बाद, एक स्वर को छोड़कर दूसरे स्वर को क्रमानुसार लेना।
  11. प्लावित – जब किसी स्वर को तीन चौथाई भाग में आंदोलित किया जाए।
  12. हुम्फित – हृदय से ताकत लगाकर गमक गाना, इसे हुम्फित भी बोला जाता है।
  13. मुद्रित – मुख बंद करके कंपन करना।
  14. नामित – इसे कोमल कंठ द्वारा गाया जाता है।
  15. मिश्रित – दो या दो से अधिक गमकों को यदि आपस में मिला दिया जाए तो उसे मिश्रित गमक कहेंगें।

दशविध गमक (दक्षिण भारत संगीत में प्रयुक्त गमक)

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दक्षिण भारतीय संगीत में गमक के 10 प्रकार मानें जाते हैं, इसे दशविध गमक नाम से भी जाना जाता है, जो कि निम्नानुसार है :-

  1. आरोह  – जब स्वरों को आरोही क्रम में गाया जाता है उसे आरोह कहा जाता है। उदा. – सा रे ग म प ध नि सां
  2. अवरोह – जब स्वरों को अवरोही क्रम में गाया जाता है उसे अवरोह कहते हैं। उदा. – सां नि ध प म ग रे सा
  3. ढालु – इसमें एक स्वर से दूसरे स्वर को लांघते हैं और बीच के स्वर को छोड़ दिया जाता है। उदा. – सा ग, सा म, सा प, सा ध
  4. स्फुरित – इसमें प्रत्येक स्वर को दो बार गाया जाता है। जैसे – सा सा, रे रे, ग ग, म म, प प
  5. कंपित – इसमे स्वरों को कंपन के साथ गाया जाता है।
  6. आहत – इसमें दो – दो स्वरों को आरोह के रूप में गाते है। उदाहरण – सारे, रेग, गम, मप
  7. प्रत्याहत – इसमें दो दो स्वरों को अवरोह के रूप में गाते हैं।  जैसे – सांनि, निध, धप, पम
  8. त्रिपुच्छ – इसमें प्रत्येक स्वर को तीन बार प्रयोग किया जाता है। उदाहरण – सा सा सा, रे रे रे, ग ग ग, म म म
  9. आंदोलित – आंदोलित में स्वरों को ऊपर नीचे, झूले की तरह करके गाया जाता है। जैसे – सारेसा पs, सारेसा मs, सारेसा गs
  10. मूर्छना – राग के आरोह तथा अवरोह को इस तरह गाते है कि जिससे राग का स्वरूप स्पष्ट हो जाता है।

कुछ अन्य विद्वानों/ द्वारा बताए गए गमक के प्रकार

पंडित अहोबल के अनुसार,

पंडित अहोबल ने अपनें ग्रंथ संगीत परिजात में गमक के 20 प्रकार बतलाए हैं। जोकि निम्नानुसार है –

1. च्यवित 2. कंपित 3. प्रत्याहत 4. द्विराहत 5. स्फुरित 6. अनाहत 7. शांत 8. तिरिप 9. घर्षण 10. अवघर्षण 11. स्फुट 12. स्नैम्चय 13. तिकर्षण 14. स्वस्थान 15. अवग्रह 16. कर्त्तरी 17. पुन: स्वस्थान 18. हुंफित 19. मुद्रा 20. सुढालु

भारत भाष्य में गमक के 7 प्रकार बतलाए गए हैं। संगीत समयसार में भी गमक के 7 प्रकार बताए हैं। राग तत्व विबोध में गमक के 20 प्रकार बताए हैं। राग विबोध में भी गमक के 20 प्रकार बताए है। पुंडरीक ने गमक के 25 प्रकार बताए है।

इसे भी पढ़े : – मार्गी संगीत एवं देशी संगीत क्या है? इनमें क्या अंतर है?

आशा करता हूं की मेरे द्वारा दी गई जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध हुई हो, यदि आपको यह जानकारी रोचक लगी तो इसे अपनें संगीत संबंधी मित्रों के साथ शेयर करें।

 


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